Narayana Murthy जो की Infosys के founder है उन्होंने बढ़ी हुई कितनी युद्ध की स्थिति के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुए बोहत भयानक जर्मनी और जापान के कुछ ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किए। जो आज भी भयजनक है।
Infosys के संस्थापक Narayana Murthy ने कहा है कि अगर देश को बड़े परदे यानि के वैश्विक स्थल पर प्रगति करनी है तो आज के युवा को अपनी कार्य करने की समताओ को बढ़ाना चाइये क्यों की इसी से अपने भारत की संस्कृति और वैश्विक स्थल पर प्रतिस्पर्धी हो सकता है और अन्य देशो को competition दे सकता है अपने देश की इकोनॉमी को भी बढ़ाने मदद कर सकता है।
देश का जो 5 trillion इकॉनमी का सपना भी पूरा हो सकता है लेकिन आज के युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।77 वर्षीय व्यक्ति 3one4 कैपिटल के पॉडकास्ट ‘द रिकॉर्ड’ जो एक पॉडकास्ट किया गया है उस के first एपिसोड में इंफोसिस के पहले सीईओ जो थे मोहनदास पई से इस topic पर बात कर रहे थे। श्री Narayana Murthy ने जापान और जर्मनी की तुलना दर्शायी , जिन्होंने इतना विश्वा युद्ध होने के बाद भी आगे है क्योकि उनके कार्यशैली घंटों को लागू किया। उन्होंने राष्ट्र निर्माण, प्रौद्योगिकी, अपनी कंपनी इंफोसिस और अन्य विषयों पर भी बात की।
अगले 10 सालो में क्या क्या बदलाव आना चाइये इस बारे में बात करने पर , श्री Narayana Murthy ने भारत में production सिस्टम में सुधार और सरकारी देरी को सुलझाने की जरुरयात को जरुरी बताया ।
भारत की जो production capacity जो है वो बोहत काम है दुनिया में हमें हमारी देश की उत्पादकता समता में सुधर जरूर करना पड़ेगा हम सर्कार के हर एक लेवल पे भ्रस्टाचार दिखाई देता है जैसा कि हम पढ़ते रहे हैं, मुझे इसकी सच्चाई नहीं पता, जब तक इसे समाप्त नहीं करते growth निचित नहीं होगा इंफोसिस के Narayana Murthy ने कहा, “हमारे देश की ये नौकरशाही अन्य देशो से कभी आगे नहीं निकलेगा जिहोने कमल प्रगति की है क्योकि उनकी कार्यशैली उनकी वृति जी उन्होंमे change कर दी ये जिसे उनका ग्रोथ सामने दिख रही है ।
उन्होंने कहा, इसलिए वो देशवासी खास करके अपने youngster को कहना चाहते है की अपनी कार्यशैली बदले और 70 घंटे पुरे सप्तहा काम करे ताकि देश की ग्रोथ जो विकशित देश है उनकी जैसी हो.
इसके बाद श्री Narayana Murthy ने अपने देशवासी को कुछ निरतर फ़ॉलोअप और अनुसासन के बारे बताते कुछ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान के कुछ ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किए।
श्री नारायण मूर्ति ने पॉडकास्ट पर कहा, इन देशो ने अपने देश को फिरसे विक्षित करने के लिये जो कार्यशैली change की है जिसकी वजह से उन्होंने अधिकतर निरततर ज्यादा घंटे काम करके अपने देश को थोड़े ही सालो में विकशित कर दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे युवाओं के लिए परिवर्तन करना ही पड़ेगा परिवर्तन से ही हम इसे change कर सकेंगे क्योंकि वे “हमारे देश में अब्दी भी उनसे ज्यादा है अगर हम ज्यादा तर सच्चे प्रयास करते रहनेगे तो ज्यादा youngster के बलबूते पे हम बढ़ ही जायँगे हम अभी कई देश के लिए मैडल भी लेके आए है यही है हमारे देश की प्रगति और इस साल G20 सुमित हुई उसमे भी भारत की बोलबॉल दिखी है जो भारत में ही आयोजित हुई थी
उनकी इस बात से सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच चर्चा का विषय बनीं और बहस छिड़ गई।
एक सोशयल मिडीया यूजर ने जवाब दिया की , “उनसे सहमत हूं… अपने लिए 40 घंटे और अपने देश के हितों के लिए 30 घंटे काम करें।”
दूसरे यूजर ने कहा “सप्ताह में 70 घंटे के बारे में थोड़ा भी सहमत नहीं क्योकि ! 70 घंटे कार्य सप्ताह काम तो कर लेंगे , लेकिन इस की कीमत क्या मिलेगी ? सप्ताह में 70 घंटे काम कर भी लिया तो जनता को क्या मिलेगा ? अच्छा स्वास्थ्य? अच्छा परिवार? अच्छा साथी? खुशी? पूर्ति? व्यक्ति को आखिर क्या मिलेगा ? “दूसरे से पूछा. एक तीसरे यूजर ने कहा, “फिर कंपनियों को भी जायदा वेतन चुकाना पड़ेगा … भारतीय कंपनियां ऐसा नहीं करेंगी।”